#घर पर वजन कम कैसे करें
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घर पर Green Tea कैसे बनाएं: लाभ, रेसिपी, और टिप्स
उस देश में जहां चाय का महत्व अत्यधिक है, क्या आपने कभी Green Tea का स्वाद चखा है? Green Tea सामान्य चाय की तुलना में कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। इस विस्तृत गाइड में, हम घर पर Green Tea कैसे बनाएं, इसके लाभ, और इसे कब पीना चाहिए इसका विवरण करेंगे।
Green Tea क्यों पीना चाहिए:
रेसिपी पर दिखाई गई बातों से पहले, Green Tea क्यों एक स्वस्थ विकल्प है, यह समझना महत्वपूर्ण है। रोजाना 2-3 कप Green Tea पीना, विशेषकर शाम को, एक सक्रिय और स्वस्थ जीवनशैली के लिए सहायक हो सकता है।
Green Tea के लिए सामग्री:
- 2 कप पानी
- 1 इंच कटा हुआ अदरक
- इलायची
- 2-3 पुदीने की पत्तियां
- 2-3 तुलसी की पत्तियां
- 1 चमच नींबू का रस
Green Tea बनाने की विधि:
1. एक पतीले में 2 कप पानी उबालें।
2. उबलने पर, पानी में कटा हुआ अदरक, इलायची, पुदीने की पत्तियां, और तुलसी डालें।
3. उबलने वाले पानी में एक चमच या एक चाय बैग Green Tea ��ालें।
4. इसे 2-3 मिनट के लिए पकने दें। ज्यादा पकाने से कड़वाहट आ सकती है।
5. पकने के बाद, गैस बंद करें और नींबू का रस डालें।
6. यदि चाय बैग का उपयोग किया गया है, तो इसे पतीले से निकालें। यदि चाय पत्तियों का उपयोग किया गया है, तो मिश्रण को छानें।
7. अच्छी तरह से मिलाएं और मजा करें।
Green Tea के लाभ:
Green Tea वजन घटाने, पाचन को मजबूत करने, कैंसर के खतरे को कम करने, मानसिक तनाव को कम करने और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने जैसे विभिन्न लाभ प्रदान करती है।
Green Tea के साइड इफेक्ट्स:
Green Tea का अत्यधिक सेवन नींद की कमी, सिरदर्द, मतली, पाचन संबंधी समस्याएँ, और लिवर क्षति जैसे साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हरी चाय का सेवन मात्रित्व में किया जाए और किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के मामले में डॉक्टर से परामर
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किस प्रकार के शरीर का वजन आसानी से कम होता है: शरीर के प्रकार: अपने शरीर के प्रकार के अनुसार अपने शरीर के कुल वजन और वसा को कम करें, पहचानें कि आपका शरीर किस प्रकार में आता है..!
किस प्रकार के शरीर का वजन आसानी से कम होता है: शरीर के प्रकार: अपने शरीर के प्रकार के अनुसार अपने शरीर के कुल वजन और वसा को कम करें, पहचानें कि आपका शरीर किस प्रकार में आता है..!
ईश्वर द्वारा बन���ई गई इस दुनिया की सबसे खूबसूरत और अजीब बात यह है कि हमारी ऊंचाई और आकार अलग-अलग हैं। इसके अलावा, हम में से प्रत्येक का शरीर का आकार अलग होता है। आपने कई लोगों को देखा होगा जो बहुत कम खाने के तुरंत बाद मोटे हो जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए वजन बढ़ाना बहुत आसान होता है। ऐसे लोगों को परफेक्ट बॉडी शेप में रहने के लिए कड़ी मेहनत और एक्सरसाइज की जरूरत होती है। वहीं, कुछ लोग बहुत दुबले-पतले…
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वजन बढ़ने के कारण
खाना खाने के तुरंत बाद लेट जाना : जो लोग खाना खाने के तुरंत बाद लेट जाते हैं या लंबे समय तक बैठे रहते हैं तो इसकी वजह से भी उनका वजन बढ़ता है।
भूख लगने पर खाना न खाना : जब आपको भूख लगती है और तब आप खाना नहीं खाते हैं तो इसकी वजह से आप एक बार में बहुत ज्यादा खाना खा लेते हैं और धीरे धीरे ये आपकी आदत बन जाता है।
अनियमित दिनचर्या : इसकी वजह से आप कई बीमारियों का शिकार होते हैं मोट���पे का सबसे मुख्य कारण यही है आपकी गलत दिन चर्या।
हमेशा कुछ न कुछ खाते रहना : ये आदत बहुत से लोगों में होती है, इसकी वजह से उनका मोटा बहुत तेजी से बढ़ता है।
बिल्कुल भी व्यायाम ना करना : जो लोग बिल्कुल भी व्यायाम नहीं करते है और शारीरिक श्रम नहीं करते हैं तो इसकी वजह से भी उनके साथ ऐसा होता है।
फास्ट फूड का ज्यादा सेवन : आज कल बढ़ता वजन छूटे बच्चों की जीवन का भी हिस्सा बनता जा रहा है इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है फास्ट फूड।
तेल और चिकनाई वाला भोजन ज्यादा करना : जायदा मसालेदार भोजन और चिकनाई वाला भोजन आपके शरीर का मोटापा बढ़ता है।
हमेशा बैठे रहना : आज के समय में बहुत से लोग ऐसे है जो सिटींग जॉब करते है जिसकी वजह से उनका वजन बढ़ता है।
थायराइड : जिन लोगों का वजन बढ़ता है तो इसके पीछे का एक कारण थायराइड भी हो सकता है। क्योंकि ऐसे बहुत से लोग है जिन्हें थायराइड होता है और उनका वजन तेजी से बढ़ता है।
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वजन घटाने का बेस्ट फॉर्मूला
वजन घटाने का बेस्ट फॉर्मूला
वजन घटना: भार के हिसाब से, योग और फिक्सिंग। पर्यावरण में परेशानी हो रही है। ब्लॉग से जुड़े लोगों के बारे में अधिक जानकारी वाले लोगों को इससे संबंधित जानकारी होती है। ऐसे में आवश्यक होने और आवश्यक होने के लिए आवश्यक है. वेट वेट के लिए टेस्ट करने के तरीके में भी सुधार करने के लिए बेहतर है। ऐसे में संभावित रूप से संभावित रूप से संभावित रूप से परिवर्तित होने की संभावना है। आज हम व्यवहार के हिसाब से…
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शहीदे आजम भगत सिंह:एक क्रांतिकारी के आखिर 24 घंटे -
शहीदे आजम भगत सिंह और 23 मार्च 1931 -
शहीदे आजम भगत सिंह एक ऐसा नाम जो बहुत ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।अब के समय के बच्चे जो उस उम्र में कुछ सोच -समझ नहीं पाते उस उम्र भगत सिंह देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गये। लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च, 1931 की शुरुआत किसी और दिन की तरह ही हुई थी। फर्क सिर्फ इतना सा था कि सुबह-सुबह जोर की आँधी आई थी। लेकिन जेल के कैदियों को थोड़ा अजीब सा लगा जब चार बजे ही वॉर्डेन चरत सिंह ने उनसे आकर कहा कि वो अपनी-अपनी कोठरियों में चले जाएं।उन्होंने कारण नहीं बताया। उनके मुंह से सिर्फ ये निकला कि आदेश ऊपर से है।अभी कैदी सोच ही रहे थे कि माजरा क्या है,जेल का नाई बरकत हर कमरे के सामने से फुसफुसाते हुए गुजरा कि आज रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है।उस क्षण की निश्चिंतता ने उनको झकझोर कर रख दिया। कैदियों ने बरकत से मनुहार की कि वो फांसी के बाद भगत सिंह की कोई भी चीज जैसे पेन, कंघा या घड़ी उन्हें लाकर दें ताकि वो अपने पोते-पोतियों को बता सकें कि कभी वो भी भगत सिंह के साथ जेल में बंद थे। बरकत भगत सिंह की कोठरी में गया और वहाँ से उनका पेन और कंघा ले आया। सारे कैदियों में होड़ लग गई कि किसका उस पर अधिकार हो।आखिर में ड्रॉ निकाला गया।
भगत सिंह ने क्यों कहा -इन्कलाबियों को मरना ही होता है-
अब सब कैदी चुप हो चले थे। उनकी निगाहें उनकी कोठरी से गुजरने वाले रास्ते पर लगी हुई थी। भगत सिंह और उनके साथी फाँसी पर लटकाए जाने के लिए उसी रास्ते से गुजरने वाले थे।एक बार पहले जब भगत सिंह उसी रास्ते से ले जाए जा रहे थे तो पंजाब कांग्रेस के नेता भीमसेन सच्चर ने आवाज ऊँची कर उनसे पूछा था, "आप और आपके साथियों ने लाहौर कॉन्सपिरेसी केस में अपना बचाव क्यों नहीं किया। " भगत सिंह का जवाब था,"इन्कलाबियों को मरना ही होता है, क्योंकि उनके मरने से ही उनका अभियान मजबूत होता है,अदालत में अपील से नहीं।" वॉर्डेन चरत सिंह भगत सिंह के खैरख्वाह थे और अपनी तरफ से जो कुछ बन पड़ता था उनके लिए करते थे। उनकी वजह से ही लाहौर की द्वारकादास लाइब्रेरी से भगत सिंह के लिए किताबें निकल कर जेल के अंदर आ पाती थीं।भगत सिंह को किताबें पढ़ने का इतना शौक था कि एक बार उन्होंने अपने स्कूल के साथी जयदेव कपूर को लिखा था कि वो उनके लिए कार्ल लीबनेख की 'मिलिट्रिजम', लेनिन की 'लेफ्ट विंग कम्युनिजम' और अपटन सिनक्लेयर का उपन्यास 'द स्पाई' कुलबीर के जरिए भिजवा दें।
भगत सिंह अपने जेल की कोठरी में शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे-
भगत सिंह जेल की कठिन जिंदगी के आदी हो चले थे। उनकी कोठरी नंबर 14 का फर्श पक्का नहीं था। उस पर घास उगी हुई थी। कोठरी में बस इतनी ही जगह थी कि उनका पाँच फिट, दस इंच का शरीर बमुश्किल उसमें लेट पाए।भगत सिंह को फांसी दिए जाने से दो घंटे पहले उनके वकील प्राण नाथ मेहता उनसे मिलने पहुंचे। मेहता ने बाद में लिखा कि भगत सिंह अपनी छोटी सी कोठरी में पिंजड़े में बंद शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे।उन्होंने मुस्करा कर मेहता को स्वागत किया और पूछा कि आप मेरी किताब 'रिवॉल्युशनरी लेनिन' लाए या नहीं? जब मेहता ने उन्हे किताब दी तो वो उसे उसी समय पढ़ने लगे मानो उनके पास अब ज्यादा समय न बचा हो।मेहता ने उनसे पूछा कि क्या आप देश को कोई संदेश देना चाहेंगे?भगत सिंह ने किताब से अपना मुंह हटाए बगैर कहा, "सिर्फ दो संदेश... साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और 'इंकलाब जिदाबाद!" इसके बाद भगत सिंह ने मेहता से कहा कि वो पंडित नेहरू और सुभाष बोस को मेरा धन्यवाद पहुंचा दें,जिन्होंने मेरे केस में गहरी रुचि ली थी।
वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी गयी -
भगत सिंह से मिलने के बाद मेहता राजगुरु से मिलने उनकी कोठरी पहुंचे। राजगुरु के अंतिम शब्द थे, "हम लोग जल्द मिलेंगे।" सुखदेव ने मेहता को याद दिलाया कि वो उनकी मौत के बाद जेलर से वो कैरम बोर्ड ले लें जो उन्होंने उन्हें कुछ महीने पहले दिया था।मेहता के जाने के थ���ड़ी देर बाद जेल अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों को बता दिया कि उनको वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी जा रही है। अगले दिन सुबह छह बजे की बजाय उन्हें उसी शाम सात बजे फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा।भगत सिंह मेहता द्वारा दी गई किताब के कुछ पन्ने ही पढ़ पाए थे। उनके मुंह से निकला, "क्या आप मुझे इस किताब का एक अध्याय भी खत्म नहीं करने देंगे?" भगत सिंह ने जेल के मुस्लिम सफाई कर्मचारी बेबे से अनुरोध किया था कि वो उनके लिए उनको फांसी दिए जाने से एक दिन पहले शाम को अपने घर से खाना लाएं।लेकिन बेबे भगत सिंह की ये इच्छा पूरी नहीं कर सके, क्योंकि भगत सिंह को बारह घंटे पहले फांसी देने का फैसला ले लिया गया और बेबे जेल के गेट के अंदर ही नहीं घुस पाया।
तीनों क्रांतिकारियों अंतिम क्षण -
थोड़ी देर बाद तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की तैयारी के लिए उनकी कोठरियों से बाहर निकाला गया। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने हाथ जोड़े और अपना प्रिय आजादी गीत गाने लगे- कभी वो दिन भी आएगा कि जब आजाद हम होंगें ये अपनी ही जमीं होगी ये अपना आसमाँ होगा।
फिर इन तीनों का एक-एक करके वजन लिया गया।सब के वजन बढ़ गए थे। इन सबसे कहा गया कि अपना आखिरी स्नान करें। फिर उनको काले कपड़े पहनाए गए। लेकिन उनके चेहरे खुले रहने दिए गए।चरत सिंह ने भगत सिंह के कान में फुसफुसा कर कहा कि वाहे गुरु को याद करो।
भगत सिंह बोले, "पूरी जिदगी मैंने ईश्वर को याद नहीं किया। असल में मैंने कई बार गरीबों के क्लेश के लिए ईश्वर को कोसा भी है। अगर मैं अब उनसे माफी मांगू तो वो कहेंगे कि इससे बड़ा डरपोक कोई नहीं है। इसका अंत नजदीक आ रहा है। इसलिए ये माफी मांगने आया है।" जैसे ही जेल की घड़ी ने 6 बजाय, कैदियों ने दूर से आती कुछ पदचापें सुनीं।उनके साथ भारी बूटों के जमीन पर पड़ने की आवाजे भी आ रही थीं। साथ में एक गाने का भी दबा स्वर सुनाई दे रहा था, "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।।।" सभी को अचानक जोर-जोर से 'इंकलाब जिंदाबाद' और 'हिंदुस्तान आजाद हो' के नारे सुनाई देने लगे।फांसी का तख्ता पुराना था लेकिन फांसी देने वाला काफी तंदुरुस्त। फांसी देने के लिए मसीह जल्लाद को लाहौर के पास शाहदरा से बुलवाया गया था।भगत सिंह इन तीनों के बीच में खड़े थे। भगत सिंह अपनी माँ को दिया गया वो वचन पूरा करना चाहते थे कि वो फाँसी के तख्ते से 'इंकलाब जिदाबाद' का नारा लगाएंगे।
भगत सिंह ने अपने माँ से किया वादा निभाया और फांसी के फंदे को चूमकर -इंकलाब जिंदाबाद नारा लगाया -
लाहौर जिला कांग्रेस के सचिव पिंडी दास सोंधी का घर लाहौर सेंट्रल जेल से बिल्कुल लगा हुआ था। भगत सिंह ने इतनी जोर से 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा लगाया कि उनकी आवाज सोंधी के घर तक सुनाई दी। उनकी आवाज सुनते ही जेल के दूसरे कैदी भी नारे लगाने लगे। तीनों युवा क्रांतिकारियों के गले में फांसी की रस्सी डाल दी गई।उनके हाथ और पैर बांध दिए गए। तभी जल्लाद ने पूछा, सबसे पहले कौन जाएगा? सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकने की हामी भरी। जल्लाद ने एक-एक कर रस्सी खींची और उनके पैरों के नीचे लगे तख्तों को पैर मार कर हटा दिया।काफी देर तक उनके शव तख्तों से लटकते रहे।अंत में उन्हें नीचे उतारा गया और वहाँ मौजूद डॉक्टरों लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ्टिनेंट कर्नल एनएस सोधी ने उन्हें मृत घोषित किया।
क्यों मृतकों की पहचान करने से एक अधिकारी ने मना किया -
एक जेल अधिकारी पर इस फांसी का इतना असर हुआ कि जब उससे कहा गया कि वो मृतकों की पहचान करें तो उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उसे उसी जगह पर निलंबित कर दिया गया। एक जूनियर अफसर ने ये काम अंजाम दिया।पहले योजना थी कि इन सबका अंतिम संस्कार जेल के अंदर ही किया जाएगा, लेकिन फिर ये विचार त्यागना पड़ा जब अधिकारियों को आभास हुआ कि जेल से धुआँ उठते देख बाहर खड़ी भीड़ जेल पर हमला कर सकती है। इसलिए जेल की पिछली दीवार तोड़ी गई।उसी रास्ते से एक ट्रक जेल के अंदर लाया गया और उस पर बहुत अपमानजनक तरीके से उन शवों को एक सामान की तरह डाल दिया गया। पहले तय हुआ था कि उनका अंतिम संस्कार रावी के तट पर किया जाएगा, लेकिन रावी में पानी बहुत ही कम था, इसलिए सतलज के किनारे शवों को जलाने का फैसला लिया गया।उनके पार्थिव शरीर को फिरोजपुर के पास सतलज के किनारे लाया गया। तब तक रात के 10 बज चुके थे। इस बीच उप पुलिस अधीक्षक कसूर सुदर्शन सिंह कसूर गाँव से एक पुजारी जगदीश अचरज को बुला लाए। अभी उनमें आग लगाई ही गई थी कि लोगों को इसके बारे में पता चल गया।जैसे ही ब्रितानी सैनिकों ने लोगों को अपनी तरफ आते देखा, वो शवों को वहीं छोड़ कर अपने वाहनों की तरफ भागे। सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया।अगले दिन दोपहर के आसपास जिला मैजिस्ट्रेट के दस्तखत के साथ लाहौर के कई इलाकों में नोटिस चिपकाए गए जिसमें बताया गया कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का सतलज के किनारे हिंदू और सिख रीति से अंतिम संस्कार कर दिया गया।इस खबर पर लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया आई और लोगों ने कहा कि इनका अंतिम संस्कार करना तो दूर, उन्हें पूरी तरह जलाया भी नहीं गया। जिला मैजिस्ट्रेट ने इसका खंडन किया लेकिन किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया।
वॉर्डेन चरत सिंह फूट-फूट कर रोने लगे -
इस तीनों के सम्मान में तीन मील लंबा शोक जुलूस नीला गुंबद से शुरू हुआ। पुरुषों ने विरोधस्वरूप अपनी बाहों पर काली पट्टियाँ बांध रखी थीं और महिलाओं ने काली साड़ियाँ पहन रखी थीं। लगभग सब लोगों के हाथ में काले झंडे थे।लाहौर के मॉल से गुजरता हुआ जुलूस अनारकली बाजार के बीचोबीच रूका। अचानक पूरी भीड़ में उस समय सन्नाटा छा गया जब घोषणा की गई कि भगत सिंह का परिवार तीनों शहीदों के बचे हुए अवशेषों के साथ फिरोजपुर से वहाँ पहुंच गया है। जैसे ही तीन फूलों से ढ़के ताबूतों में उनके शव वहाँ पहुंचे, भीड़ भावुक हो गई। लोग अपने आँसू नहीं रोक पाए।उधर, वॉर्डेन चरत सिंह सुस्त कदमों से अपने कमरे में पहुंचे और फूट-फूट कर रोने लगे। अपने 30 साल के करियर में उन्होंने सैकड़ों फांसियां देखी थीं, लेकिन किसी ने मौत को इतनी बहादुरी से गले नहीं लगाया था जितना भगत सिंह और उनके दो कॉमरेडों ने।किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि16 साल बाद उनकी शहादत भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत का एक कारण साबित होगी और भारत की जमीन से सभी ब्रिटिश सैनिक हमेशा के लिए चले जाएंगे।
शहीद-ए-आ��म का भगत सिंह नाम कैसे पड़ा -
भारत माँ के इस महान सपूत का नाम उनकी दादी के मुँह से निकले लफ्जों के आधार पर रखा गया था।जिस दिन भगतसिंह का जन्म हुआ, उसी दिन उनके पिता सरदार किशनसिंह और चाचा अजीतसिंह की जेल से रिहाई हुई थी। इस पर उनकी दादी जय कौर के मुँह से निकला 'ए मुंडा ते बड़ा भागाँवाला ए' (यह लड़का तो बड़ा सौभाग्यशाली है)।शहीद-ए-आजम के पौत्र (भतीजे बाबरसिंह संधु के पुत्र) यादविंदरसिंह संधु ने बताया कि दादी के मुँह से निकले इन अल्फाज के आधार पर घरवालों ने फैसला किया कि भागाँवाला (भाग्यशाली) होने की वजह से लड़के का नाम इन्हीं शब्दों से मिलता-जुलता होना चाहिए, लिहाजा उनका नाम भगतसिंह रख दिया गया।
शहीद-ए-आजम का नाम भगतसिंह रखे जाने के साथ ही नामकरण संस्कार के समय किए गए यज्ञ में उनके दादा सरदार अर्जुनसिंह ने यह संकल्प भी लिया कि वे अपने इस पोते को देश के लिए समर्पित कर देंगे। भगतसिंह का परिवार आर्य समाजी था, इसलिए नामकरण के समय यज्ञ किया गया।यादविंदर ने बताया कि उन्होंने घर के बड़े-बुजुर्गों से सुना है कि भग��सिंह बचपन से ही देशभक्ति और आजादी की बातें किया करते थे। यह गुण उन्हें विरासत में मिला था, क्योंकि उनके घर के सभी सदस्य उन दिनों आजादी की लड़ाई में शामिल थे।हमारा उद्देश्य हमेशा रहता है की अपने इतिहास के चुनिंदा घटनाओं से आपको अवगत कराते रहे है। हमारे आर्टिकल आपको अगर पसंद आते है तो हमे अपना समर्थन दे।
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/319PmN5
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गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार-kidney stone home remedy गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार-kidney stone home remedy गुर्दे की पथरी (kidney stone) गुर्दे की पथरी(kidney stone) किडनी में जमा हुए अपशिष्ट पदार्थ होते हैं। किडनी के इन पत्थरों को गुर्दे से बाहर निकलने के लिए मूत्राशय के माध्यम से यात्रा करनी पड़ती है। गुर्दे की पथरी(kidney stone) को गुर्दे से बाहर करना बहुत दर्दनाक हो सकता है। हालांकि पथरी के विकास को रोकने के लिए घर पर गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार(kidney stone home remedy)किया जा सकता है। गुर्दे की पथरी(kidney stone) के इलाज के लिए अधिकांश मामलों में दवाओं या द्रव चिकित्सा जैसी अन्य प्रकार के चिकित्सीय सहारे के साथ इलाज किया जाता है। कुछ ऐसे भी गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार (kidney stone home remedy) हैं जिन्हें लोग गुर्दे की पथरी(kidney stone) के विकास के जोखिम को कम करने के लिए अपना सकते हैं। इन सभी गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार(kidney stone home remedy)के लिए आपको डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन या यहां तक की दवा की भी आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर गुर्दे की पथरी(kidney stone) काफी अधिक दर्दनाक हो जाए तो चिकित्सा की तलाश करना अच्छा है। इस लेख में, हम पथरी को रोकने(stop kidney stone) या प्रतिबंधित करने के लिए गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार(kidney stone home remedy) करने के लिए 6 तरीकों पर चर्चा करते हैं। गुर्दे की पथरी(kidney stone) के लिए हमारे द्वारा बताए गए किसी भी घरेलू उपचार(home remedy) को करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूरी है, खासकर जब की किसी व्यक्ति को चिकित्सा की ज्यादा जरूरत हो या फिर जब वह किसी और रोग की दवा नि��मित रूप से ले रहा हो। हालांकि इन उपायों में से कई पथरी के लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकते हैं या भविष्य में होने वाली इसकी पुनरावृति के जोखिम को कम कर सकते हैं, गुर्दे की पथरी(kidney stone) के कारण काफी अधिक दर्द हो सकता है। अधिकतर पारंपरिक उपचारों के साथ गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार(kidney stone home remedy) सर्वोत्तम हो सकते हैं। कुछ लोगों को पथरी को निकालने या फिर उसको तोड़ने के लिए सर्जरी की जरूरत हो सकती है, साथ ही साथ इसके लिए जरूरी दवा भी लेनी पड़ सकती है। नीचे दिए गए लेख में गुर्दे की पथरी(kidney stone) के लक्षणों को कम करने के लिए गुर्दे की पथरी के उपचार(kidney stone treatment) पर चर्चा करते हैं। गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार (kidney stone home remedy) नियमित रूप से पानी पीना(drink water) गुर्दे की पथरी के उपचार(kidney stone treatment) और बचाव के सबसे आसान तरीकों में से एक है, क्योंकि पानी की कमी गुर्दे की पथरी(kidney stone) के लिए मुख्य कारणों में से एक है। अधिकांश चिकित्सक पानी की कमी को रोकने के लिए प्रतिदिन 8 से 10 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं। नींबू का रस पिएं(drink lemon juice) नींबू में साइट्रिक एसिड होता है। यह साइट्रिक एसिड जमा हुए कैल्शियम को तोड़ने और उसके विकास को धीमा करने में मदद करता है। 2019 के एक अनुसंधान में यह पाया गया कि बिना शुगर के नींबू का रस गुर्दे की पथरी(kidney stone) के लिए एक सबसे अच्छा गुर्दे की पथरी का इलाज(kidney stone treatment) है। वास्तव में केवल 4 औंस नींबू के रस के सेवन से साइट्रेट के स्तर को प्रभावी रूप से बड़ा सकता है। नींबू के रस के उत्पादों को खरीदने से पहले सावधानी बरतें और जांच करें कि नींबू के रस में सही मात्रा में नींबू का रस हो और उसके अंदर मिठास बिल्कुल भी ना हो। क्योंकि शुगर गुर्दे की पथरी(kidney stone) को बढ़ा सकती है आप हमेशा शुद्ध रस खरीदें या ताजे नींबू को खरीदना और उन्हें घर मैं निचोड़ कर रस निकालना सबसे आसान तरीका है। नींबू की जगह आप इन विकल्पों में से भी चुन सकते हैं जैसे कि तरबूज और संतरा, और इनके रस को इस्तेमाल करना इन दोनों में साइट्रिक एसिड की मात्रा उच्च स्तर में होती है। सेब के साइडर सिरके का सेवन करें(Eat apple cider vinegar) सेब के सिरके में साइट्रिक एसिड की मात्रा काफी अच्छी होती है जो जमा हुए कैल्शियम को तोड़ने में हमारी मदद कर सकती है। और यह गुर्दे की पथरी की दवा(kidney stone medicine) भी है। 2019 के अध्ययन में पाया गया कि 9000 से अधिक लोगों ने सिरके का सेवन किया उनमें गुर्दे की पथरी का खतरा(kidney stone risk) काफी कम था हांलाकि, सेव साइडर सिरका के लाभों की पुष्टि करने के लिए अभी और शोध आवश्यक है, विशेष रुप से गुर्दे की पथरी के लिए एक प्राकृतिक उपचार(natural kidney stone treatment ) के रूप में। मोटापे को नियंत्रित करें(Control obesity) गुर्दे की पथरी वाले (kidney stone)146 लोगों के 2019 के एक अध्ययन के अनुसार 43% लोगों में मोटापा अधिक वजन पाया गया था। हालांकि यह कार्य-कारण का सुझाव नहीं देता है, लेकिन वजन और गुर्दे की पथरी(kidney stone) के बीच एक लि��क हो सकता है। अध्ययन लेखकों का मानना है कि उच्च कोलेस्ट्रॉल(cholesterol) और उच्च रक्तचाप(high blood pressure) जैसे चयापचय की स्थिति गुर्दे की पथरी(kidney stone) के निर्माण में योगदान कर सकती है। लेकिन यह अनुसंधान यह सुझाव नहीं देता है,लेकिन वजन और गुर्दे की पथरी(kidney stone के बीच एक संबंध हो सकता है। अध्ययन के लेखकों का मानना है कि उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप जैसे चयापचय की स्थिति गुर्दे की पथरी(kidney stone) का कारण बन सकती है। शरीर के वजन को नियंत्रित करना और एक संतुलित आहार को अपनाना, गुर्दे की पथरी के रोग(kidney stone disease) और गुर्दे की पथरी के लिए घरेलू उपचार(kidney stone home remedy) के लिए महत्वपूर्ण कदम है। शक्कर और कैफिन युक्त पेय पदार्थों से बचें(Avoid beverages containing sugar and caffeine) कार्बोनेटेड, कैफीन(carbonated, caffeine) युक्त और शराब(alcohol)जैसे पेय पदार्थ सभी व्यक्ति के गुर्दे की पथरी(kidney stone) के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। शोध बताते हैं कि कैफीन पीने से पथरी(stone)का खतरा बढ़ सकता है। पेय और सोडा जिसमें वास्तविक या कृत्रिम शर्करा होते हैं, वे गुर्दे की पथरी(kidney stone) का कारण बन सकते हैं। अध्ययन बताते हैं कि कैफीन का सेवन करने से पथरी का खतरा बढ़ सकता है। पेय और सोडा जिसमें वास्तविक या कृत्रिम शक्कर होती है, एक प्रकार से गुर्दे की पथरी(kidney stone) का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा चीनी और नमक तथा वसा में उच्च खाद्य पदार्थ गुर्दे के अंदर पथरी(kidney inside stone) के जमाव के जोखिम को बढ़ाने और लक्षणों को तीव्र करने के लिए जाने जाते हैं। कैल्शियम की दैनिक जरूरतों को पूरा करें कैल्शियम ऑक्सलेट पथरी(oxalate stone) वाले लोगों के लिए, जो सामान्य प्रकार की होती हैं, कैल्शियम के स्रोतों को खोजने से उन्हें अपने दैनिक कैल्शियम की आवश्यकता को पूरा करने और गुर्दे की पथरी के जोखिम(Risk of kidney stones) को रोकने में मदद मिल सकती है। लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कैल्शियम की खुराक लेने से गुर्दे की पथरी का खतरा(Risk of kidney stones)बढ़ सकता है, क्योंकि अनुशंसित दैनिक सेवन से अधिक प्रदान कर सकते हैं। लेकिन खाद्य स्वरूपों से कैल्शियम प्राप्त करना पथरी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। लोगों को इन खाद्य पदार्थों के माध्यम से कैल्शियम मिल सकता है •दूध से बने हुए पदार्थ •सब्जियों में गोभी •ब्रोकोली •अंकुरित अनाज •अनाज •नर्म व खाद्य मांस मछली •कैल्शियम से समृद्ध अनाज •साइट्रिक एसिड वाले पेय पदार्थ गुर्दे की पथरी के जोखिम फिलहाल के राष्ट्रीय स्वास्थ्य और पोषण परीक्षा के एक सर्वेक्षण के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में लगभग 8.5% वयस्कों में गुर्दे की पथरी(kidney stone) पाई गई। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में गुर्दे की पथरी(kidney stone) विकसित होने की अधिक संभावना। विशेष रुप से अमेरिका में लगभग 10.6% पुरुष 7% महिलाओं की तुलना में गुर्दे की पथरी(kidney stone) पाई गई। गुर्दे की बीमारी(kidney disease) तथा कुछ चिकित्सा स्थितियां गुर्दे की पथरी का कारण बन सकती हैं या उन्हें विकसित करने की संभावना बढ़ा सकती हैं। विशेष दवाई भी गुर्दे की पथरी के होने का जोखिम बढ़ा सकती है इसमें शामिल है। :- •एचआईवी की दवाइयां •खास रोगों के लिए लेने वाली दवाई •��ैल्शियम आधारित एंटासिड •मोटापा कम करने की दवाई •मोटापा और फास्ट फूड-एक गुर्दे की पथरी के लिए सबसे बड़ा जोखिम है। गुर्दे की पथरी होने से बचने के लिए या फिर गुर्दे की पथरी के विकास को रोकने के लिए लोगों को निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।:- तिल के बीज फास्ट फूड शराब कॉफी ड्राई फ्रूट जैसे बादाम, मूंगफली, अखरोट, मीसो यह जानकारी आपको अच्छी लगी तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं और ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां अपने फ्रेंड एंड रिलेटिव तक जरूर पहुंचाएं। यह जानकारी भी जरूर पढ़ें:- How to increase blood platelets |खून में प्लेटलेट्स को कैसे बढ़ाए Lemon tea - लेमन टी के फायदे और नुकसान Aam khane ke fayde - आम खाने के फायदे और नुकसान Benefits of Aloe Vera | एलोवेरा के फायदे तथा उपयोग
http://www.healthcarerktips.live/2020/06/kidney-stone-home-remedy.html
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Weight Loss Tips:- वजन घटाने के लिए डाइट चार्ट - Diet Chart For Weight Loss in Hindi
मोटापा किसी के लिए भी परेशानी और शर्मिंदगी का सबब बन जाता है। कोई भी नहीं चाहता की उसका थुलथुल ढीला, भारी भरकम शरीर हो। यह आपके पूरी पर्सनालिटी की रौनक को खत्म कर देता है । ज्यादा मोटापा सिर्फ सुंदरता ही कम नहीं करता बल्कि शरीर को बीमारियों का घर बना देता है। एक अच्छी पर्सनैलिटी की पहचान स्वस्थ शरीर से होती है।
बिज़ी लाइफस्टाइल के चलते, आजकल सभी अपनी फिटनेस का ख़ास ख़्याल नहीं रख पाते। पर आप अपने काम में तभी परफेक्ट हो पाएंगे, जब आपका स्वास्थ्य अच्छा और आप फिट होंगे। ऐसे में लोग वजन घटाने करने के लिए घंटो जिम में पसीना बहाते हैं, डाइटिंग करते हैं, कई बार दवाइयां भी लेते हैं. जबकि
मोटापा कम
करने के लिए इतना कुछ करने की जरुरत नहीं होती है. अपने पेट को कम करने के लिए सबसे जरुरी है की आप सही डाइट चार्ट फॉलो करें।
सब्ज़ियों का सूप
डाइट चार्ट में इस बात का ख्याल रखा गया है कि आपको जरूरी
विटामिन्स
और
मिनरल्स
मिलते रहें। वैसे जरूरी नहीं कि हर शख्स पर यह पूरी तरह से लागू होगा। हालाँकि, आप इसमें थोड़ा फेरबदल भी कर सकते हैं।जब आप वजन कम करना शुरू करते हैं तो शुरू में आमतौर पर सभी लोगों का वजन दो चार किलो कम हो जाता है, मगर बाद में फैट कम नहीं होता। इसलिए हर बार आपको अपना
डाइट चार्ट
पहले के मुकाबले ज्यादा हार्ड बनाना होता है।
वजन घटाने
के लिए इस डाइट चार्ट को आप आजमाकर देखें फर्क जरूर पड़ेगा।
वैसे तो हर व्यक्ति की शारीरिक संरचना और उसके द्वारा की जाने वाली मेहनत के हिसाब से खान-पान की आवश्यकता अलग-अलग होती है। इसके लिए बेहतर होगा बीएमआर निकाला जाए जो यह बताएगा कि शरीर को कम से कम कितनी कैलोरी की आवश्यकता है।
शरीर का वजन कम करने के लिए कम कैलोरी लेनी चाहिए और इसके लिए बैलेंस्ड डाइट चार्ट बनाया जाना जरूरी होता है। दिमाग सुचारू रूप से कम करे और शरीर थके नहीं, इन बातों को ध्यान में रखते हुए 1200 से 1800 कैलोरी की आव��्यकता होती है। इतनी कैलोरी ऊर्जा के रूप में शरीर में बेहतर ढंग से संचरित हो जाती है जो कि फैट के रूप में नहीं जमती।
तीन मुख्य भोजन, जैसे नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना 300 से 350 कैलोरी का रखें।
बाकी बचे 300 कैलोरी में स्नेक्स तथा अन्य चीजों को रखें।
बेवरेज के तौर पर ग्रीन टी अपनाएं। ग्रीन टी वजन कम करने में सहायक है।
जो भी खाना खाएं, सभी गेहूं से बना हो या ब्राउन चावल हो। मैदा या सफेद चावल न खाएं।
वजन घटाने के लिए डाइट चार्ट - Diet Chart For Weight Loss in Hindiआपको नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने को ऐसे डिवाइड करें।
सुबह उठते ही : पानी पिएं, हो सके तो कम से कम दो गिलास और ज्यादा से ज्यादा एक लीटर। पानी हल्का गुनगुना होगा तो अच्छी बात है वरना जैसा आपको ठीक लगे।
अगर हो सके तो कुंज्जल करें : यह एक यौगिग क्रिया है जिसे वमन धौती भी कहा जाता है। इसमें तकरीबन दो लीटर हल्का गर्म पानी पीकर उल्टी की जाती है। अगर बीपी की प्रॉबलम नहीं है तो पानी में हल्का नमक भी मिला लें। यह वैसे तो बहुत आसान है मगर बेहतर होगा शुरू में आप किसी जानकार के सामने यह करें उसके बाद आप खुद कर सकती हैं।
नाश्ता : ओट्स बनायें मगर ये इंस्टेंट ओट्स न हों। सादे ओट्स का पैकेट लाएं और उसमें प्याज, लहसुन, दालचीनी, जरा सी मंगरैल उर्फ कलौंजी डालें, बाकी नमक वगैरा तो डालना ही है। इसमें मौसम के हिसाब से सब्जियां डाल सकती हैं। हो सके तो ब्रोकली जरूर डालें या कॉर्नफ्लेक्स और डबल टोंड दूध या अगर आप नॉन वेज��टेरियन हैं तो तीन या चार उबले अंडे का सफेद हिस्सा। चाहें तो बिना चीनी वाली नींबू की शिकंजी। शिकंजी पहले पियें बाद में अंडे खाएं या कभी कभी आप नाश्ते में दही के साथ उबला आलू भी ले सकती हैं। इसमें हरा धनिया भी डाल लिया करें।
ब्रंच : पांच से दस बादाम, साथ में कॉफी या ग्रीन टी या अदरक, तुलसी, दालचीनी, इलाइची वगैरा की चाय बस इसमें चीनी की बजाए शुगर फ्री हो।
लंच: एक कटोरी ब्राउन राइस, सलाद, दाल, मल्टी ग्रेन आंटे की एक या दो रोटी।
शाम की चाय-शाय: कोई वेज सूप या भुने चने के साथ चाय या कॉफी या ग्रीन टी। चाहें तो स्प्राउट भी ले सकती हैं।
रात का खाना एक कटोरा वेज सूप, एक कटोरा सलाद, या एक बड़ा कटोरा पपीता या एक कटोरा भरकर सब्जियां इसमें लहसुन, प्याज जरूर हो या नॉन वेजेटेरियन हैं तो तीन एग व्हाइट या 150 ग्राम चिकन ब्रेस्ट, या दो लेग पीस।
जरूरी नहीं है कि आप इन्हीं चीजों का सेवन करें। जरूरी ये है कि आप कैलोरी की सही मात्रा लें। इसके साथ ही तरल पदार्थों का अधिक सेवन और व्यायाम को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा।
मोटापे से बचने के लिए क्या खाएं और कैसे खाएं? – Weight Loss Foods in Hindi
मोटापे से खुद को बचाने के लिए निम्नलिखित चीजें खा सकते हैं और मोटापे से छुटकारा पा सकते हैं:
सलाद खाएं
लो कैलोरी फूड लें
मोटे अनाज शामिल करें
चबाकर खांए
शहद और नींबू
डेयरी उत्पाद, जैसे – दही व मक्खन आदि।
नट्स जैसे – मूंगफली व बादाम आदि।
खट्टे फल
सूप पींए
पालक
सेब
दाल
दलिया
अंडा
विनेगर
एवोकैडो
मोटापा से बचने के लिए क्या ना खाएं? – Foods to Avoid in Weight Loss in Hindi
मोटापे से बचने के लिए, आपको नीचे बताई गईं चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए :
ज़्यादा चीनी वाले खाद्य पदार्थ, जैसे – मिठाई व खीर ।
ज़्यादा चीनी वाले पेय, जैसे – कोल्ड ड्रिंक व शर्बत।
ज़्यादा तेल वाले खाद्य पदार्थ, जैसे – फ़्रेंच फ्राई व चिप्स।
वजन घटाने वाले कुछ व्यायाम और योगासन – Some Exercise and Yoga for Weight Loss in Hindi
वज़न घटाने के लिए हमारे डाइट चार्ट को अपनाने के साथ-साथ आपको नीचे बताए गए
एक्सरसाइज
को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए:
सुबह-शाम टहलें।
रस्सी फांदने का अभ्यास करें।
स्विमिंग करें।
साइकल का प्रयोग करें।
ज़ुम्बा या डांस क्लास से भी वज़न घटा सकते हैं।
व्यायाम के अलावा योगासन से भी वज़न घटाया जा सकता है, योगासन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें: वजन घटाने के लिए योगासन निम्नलिखित है:
चक्रासन
भुजंगासन
वीर भद्रासन
नवासना
��ूर्य नमस्कार
वजन घटाने के लिए कुछ और उपाय – Other Tips for Weight Loss in Hindi
समय पर नास्ता करें - नाश्ता पूरे दिन का सबसे महत्वपूर्णडाइट होता है। बतादें कि, सुबह का नाश्ता हमारे शरीर के मेटाबॉलिज़्म प्रक्रिया को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
डिप्रेशन से बचें - मोटापे का एक कारण डिप्रेशन भी हो सकता है, इससे बचने के लिए आपको टहलना या घूमना भी चाहिए। ऐसे काम करें जिससे आपको खुशी मिलती है।
पूरी नींद लें - शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि नींद पूरी ना होने से वज़न बढ़ सकता है, क्योंकि नींद की कमी से शरीर की इंसुलीन संवेदनशीलता और ग्लूकोज़ सहिष्णुता में कमी आती है। इससे शरीर में लेप्टिन का स्तर घटता है, और हमारी भूख बढ़ती है।
वजन घटाने के लिए डाइट रेसिपी – Diet Food Recipes for Weight Loss in Hindi
वजन घटाने के लिए डाइट रेसिपी का इस्तेमाल करके आप अपने मोटापा को कम कर सकते हैं और कई तरह की बिमारियों से बच सकते हैं। यहां हम आपको कुछ आसान रेसिपी के बारे में बता रहें हैं जो निम्नलिखित है:-
1.फलों का सलाद - सामग्री जैसे - आधा पपीता, एक केला, आधे से थोड़ा कम तरबूज़, एक सेब, पांच से छह अंगूर, नींबू, चुटकी भर नमक, चुटकी भर काली मिर्च
कैसे बनाएं
बाउल में सारे फलों के छोटे-छोटे टुकड़े करें। अंत में इन टुकड़ों के साथ अंगूर, नींबू के रस, चुटकी भर नमक और काली मिर्च को भी मिला लें। अब आपके फलों का सलाद तैयार है। सर्व करें।
2.सब्ज़ियों का सूप - सामग्री जैसे - एक पत्तागोभी का थोड़ा-सा भाग, आधा या एक गाजर, पांच बीन्स, नींबू, चुटकी भर काली मिर्च, नमक, थोड़ी-सी अजवाइन या उसके डंठल, एक चुकंदर
कैसे बनाएं
पत्तागोभी, चुकंदर और गाजर के लंबे-लंबे टुकड़े काटें फिर,अजवाइन के डंठल को छोटे टुकड़ों में काटें। उसके बाद बीन्स को भी छोटे टुकड़ों में काट लें। फिर एक पतीले में पानी उबालें और सारी सब्ज़ियों को उसमें डालें। सब्ज़ियों को थोड़ी देर तक पकने दें और फिर उन्हें पानी के साथ कटोरे में निकाल लें। लास्ट में कटोरे में नींबू का रस, नमक और काली मिर्च डालें और अच्छी तरह से सब्ज़ियों को मिला लें।
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सेहत के साथ किसानों की आय भी बढ़ा रही रागी की फसल
छत्तीसगढ़ सरकार खरीद रही समर्थन मूल्य पर
आज हम आपको एक ऐसे पोषण तत्व के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद आपने बहुत कम सुना होगा, या यह भी हो सकता है कि इसके बार में अभी तक आपको कोई जानकारी ही न हो। जिसमें ऐसे कई पोषण तत्व मौजूद हैं जो आपके शरीर के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इसमें कैल्शियम, विटामिन्स, फाइबर, कार्बोहाइड्रेड सरीखे तमाम जरूरी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं रागी (Ragi or Raagi or Finger millet) की। रागी को बाजरा, फिंगर या नचनी के नाम से भी जाना जाता है। रागी मुख्य रूप से अफ्रीका और एशिया महाद्वीप में उगाई जाती है। जिसको मडुआ, अफ्रीकन रागी, फिंगर बाजरा और लाल बाजरा के नाम से भी जाना जाता है। इसके पौधे पूरे साल पैदावार देने में सक्षम होते हैं। इसके पौधे सामान्य तौर पर एक से डेढ़ मीटर तक की ऊंचाई के पाए जाते हैं।
फाइबर से भरपूर होने की वजह से ये शुगर ठीक करने और वजन घटाने में भी मदद करता है। यही नहीं यह तनाव दूर करने में काफी कारगार साबित होता है। आम तौर पर इसे पीसकर या अंकुरित अवस्था में खाते हैं। आप रागी का सेवन रोटी के तौर पर कर सकते हैं। आप इसे गेंहू के आटा के साथ मिलाएं और फिर इसकी रोटी बनाकर खाएं। इसकी इडली भी बनाई जा सकती है। अगर इसका रेगुलर सेवन किया जाए तो यह शरीर में खून की कमी को भी पूरा करता है।ये भी पढ़ें:जानिए गेहूं की बुआई और देखभाल कैसे करें
छतीसगढ़ सरकार कर रही समर्थन मूल्य पर खरीदी
छत्तीसगढ़ को वैसे तो धान का कटोरा कहा जाता है पर अब सरकार किसानों को अन्य फसलों के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है,जिससे वे अधिक से अधिक लाभ कमा सकें। छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में ��ब धान के अलावा रागी की फसल भी उगाई जा रही है। वहीं रागी की फसल को प्रोत्साहित करने और किसानों को अधिक पैदावार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले साल से किसानों से रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी भी शुरू कर दी है। पहले किसानों को इस फसल को उगाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी, पर अब किसान भी धीरे-धीरे इसकी फसल लगाने में अधिक रूचि लेने लगे हैं।ये भी पढ़ें:भारत सरकार ने खरीफ फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया
खेती-किसानी में जुड़ा नया आयाम
छत्तीसगढ़ में धान के अलावा रागी की फसल की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने से प्रदेश में खेती- किसानी में एक नया आयाम भी जुड़ गया है। जहां पहले किसान धान की फसल से समृद्ध हो रहे थे अब रागी भी उनकी समृद्धि बढ़ाने में एक कारगार साबित हो रही है।
मिलावट की संभावना नहीं
आज आधुनिक युग में हर ज्यादातर वस्तुओं में मिलावट की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं। त्यौहार हो या सामान्य दिन लोगों को अक्सर मिलावटी खाद्य पदार्थों से दो-चार होना ही पड़ता है, जिसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है। वहीं बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते है क्यों के उनकी इम्युनिटी पावर कम होने के कारण उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है, जिस कारण उनमें बीमारियों का खतरा अधिक रहता है।
पर रागी के मामले में ऐसा नहीं है। रागी में मिलावट की कोई गुंजाइश नहीं है। क्यों के रागी के दाने बहुत ही छोटे होते हैं, इसलिए इसे पॉलिश या प्रोसेस करने की संभावना नहीं होती। जिस वजह से इसमें मिलावट की भी संभावना नहीं रहती है। ऐसे में निरोगी रहने के लिए रागी का सेवन जरूर करें।ये भी पढ़ें:IYoM: मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा को अब गरीब का भोजन नहीं, सुपर फूड कहिये
रागी में कैल्शियम की भरपूर मात्र
आज देखा जाए तो लोगों को केल्सियम की कमी से कई बीमारियां हो रही है, जिस कारण उनकी दिनचर्या कफी प्रभावित होती जा रही है। ऐसे में उन लोगों के लिए केल्सियम की कमी को दूर करने के लिए रागी एक कारगार माध्यम साबित हो सकता है। किसी भी अनाज से तुलना की जाए तो रागी के आटे में कैल्शियम सबसे अधिक पाया जाता है। यह एकमात्र ऐसा नॉन-डेयरी प्रोडक्टक्स है जिसमें में इतनी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जिस वजह से ��गर आप हड्डी की समस्या से जूझ रहे हैं तो इसके नियमित उपयोग से आप अपनी हड्डियों और दांतों को मजबूत बना सकते हैं. इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम में भी यह बहुत ही उपयोगी है.
– डायबिटीज़ भी कं��्रोल में रखती है रागी
अनियमित खानपान और प्रभावित होती दिनचर्या के कारण आज पूरे विश्व में डायबिटीज की बीमारी एक मुख्य समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है। हर घर में एक व्यक्ति इस बीमारी से जूझ रहा है और इस बीमारी से छुटकारा पाने हर महीने रुपए खर्च कर रहा है, फिर भी समस्या जस की जस बनी हुई है। ऐसे में रागी आपको डायबिटीज से बचाने में काफी कारगर सिद्ध हो सकती है। रागी में चावल, मक्का या गेहूं की तुलना में हाई पॉलीफेनोल और डायटरी फाइबर भरपूर मात्रा में मिलता है जिससे आप ग्लूकोज को नियंत्रित रख सकते हैं. इसे आप ब्रेकफास्ट से लेकर लंच या डिनर में भी खा सकते हैं।
सर्दियों में बीमारी से बचाने में कारगार
हर साल सर्दियों का मौसम आते ही सर्दी-खांसी, गले में खराश होना और अधिक ठंड की वजह से कोल्ड स्ट्रोक का खतरा होता है। ऐसे में रागी आपको इन सबसे बचाने में काफी अहम भूमिका निभा सकती है। सर्दियों में लोग अपनी डाइट में कई तरह के फूड्स को शामिल करते हैं, जो शरीर को गर्म रख सकें. ऐसी ही खाद्य सामग्रियों में से एक है रागी। कैल्शियम से भरपूर सर्दियों में इस्तेमाल में लाया जाने वाला रागी का आटा किसी भी अन्य अनाज की तुलना में कैल्शियम से भरपूर होता है।
Source सेहत के साथ किसानों की आय भी बढ़ा रही रागी की फसल
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प्रेगनेंसी शॉपिंग
'सावी, ओ सावी' सासुजी बुला रही थी| कूरियर से बड़ा पार्सल आया था दरवाजे पर| वो देखकर उनकी चिड़चिड़ाहट शुरू हो गयी| सावी की प्रेगनेंसी टेस्ट का रिपोर्ट पिछले हफ्ते ही पॉजिटिव मिला था| उसने प्रेगनेंसी से सम्बंधित चीजोंका शॉपिंग बड़े धड़ल्ले से शुरू कर दिया था| कई चीजे घरमे आ गयी थी| मजे की बात तो ये थी की सावी खुद नहीं जानती थी की उनमे से कई चीजोंका उपयोग क्या है अथवा कैसे किया जाता है?
सावी जैसी कई लडकियां देखनेमें आती हैं| उन सबके लिए आजका ये लेख|
आप सभी जानते हो, की प्रेगनेंसी के कई स्टेजेस होते हैं| और हर चीज का अपना समय होता है| इसी तरह, प्रेगनेंसी शॉपिंग का भी अपना समय होता है|
पहली शॉपिंग तब करना, जब गर्भके हार्ट बीट्स सोनोग्राफी में सुनाई दें| इससे ये मालूम हो जाता है की गर्भ जीवित है (इसे LIVE PREGNANCY कहते हैं|
इस स्टेज पर कौनसी चीजें खरीदनी चाहिए?
१. सूती और आरामदेह कपडे- प्रेगनेंसी ये एक HYPERMETABOLIC अवस्था है| इसका मतलब प्रेगनेंसी में चयापचय क्रिया की गति बढ़ जाती है| जिसकी वजह से गर्माहट महसूस होना और अधिक पसीना आना स्वाभाविक है| इसीलिए गर्भावस्था में पहनावा सूती और आरामदेह हो इसका खास ख्याल रखें| जैसे जैसे पेट का ��कार बढ़ता है, उसके साथ साथ कपडोंका साइज भी बदलना चाहिए|
२. ब्रा- गर्भावस्था में शुरू से ही स्तनोंका आकार और वजन बढ़ता जाता है| इसलिए स्तनोंको ठीक से सपोर्ट करे ऐसी ब्रा इस्तेमाल करना जरुरी है| वरना प्रसूति पश्चात् स्तन का आकार बिगड़ सकता है (SAGGING OF BREAST) | ऐसी SUPPORTIVE ब्रा खरीदें|
३ पैंटी- योग्य साइज की हों और दिन में कमसे कम दो बार चेंज करें| जैसे पेट बढ़ता है, तो प्रेगनेंसी की स्पेशल पैंटी मिलती है जो TUMMY को सपोर्ट करती हैं उन्हें इस्तेमाल करें|
४. सपाट चप्पल (FLAT FOOTWEAR) गर्भावस्था में सारा समय सपाट चप्पल ही इस्तेमाल करें| हिल वाले चप्पल प्रेगनेंसी में अत्यंत धोकादायक होते हैं| उनकी वजह से पीठ में दर्द, बैलेंस खोकर गिर जाना ऐसी परेशानियां हो सकती हैं| इसी लिए गर्भावस्था में और बच्चेको गोद में लेकर चलते समय सपाट चप्पल ही इस्तेमाल करें| इन्हे शुरुवाती लिस्ट में ही ले आये|
५. बॉडी पिलो - सोते वक़्त शरीर को आधार मिले और निद्रा आरामदेह हो इस लिए ये बहुत उपयोगी हैं|
६. डेओडोरैंट्स- जैसा हमने पहले देखा है, प्रेगनेंसी में पसीना ज्यादा निकलता है| इस लिए दुर्गंधी से बचने के लिए डेओडोरैंट्स योग्य मात्रा में अवश्य इस्तेमाल करें|
७. पानी की बोतल- प्रेगनेंसी में बाहरका पानी न पियें| एक बड़ी बोतल ख़रीदे और उसे घरके पानी से भर कर हमेशा साथ रखें| उसीका इस्तेमाल करें|
८. सूखे मेवे- ये हमेशा पर्स में अपने साथ रखें| अच्छे क्वालिटी का खरीदें और इसे दिनभर जब भी मन करें, खाते रहिये|
९. संगीत- गर्भावस्था में मन प्रसन्न और रिलैक्स्ड रहने के लिए संगीत बहुत मददगार होता है| मन को शांत रखनेवाला, खुश रखनेवाला संगीत अवश्य सुनें|
१०. ऑफिस पिलो- ऑफिस में यदि सारा समय बैठ कर काम करना होता है तो पीठ और लोअर बैक को सपोर्ट करने वाली पिलो खरीदें| जब भी आप कुर्सीपर बैठी हों, उसे इस्तेमाल करें| ऐसीही पिलो कार में सफर के वक़्त भी साथ ले सकते हैं|
ये सभी चीजें गर्भावस्था के प्रथम चरण में (FIRST STAGE) आवश्यक हैं|
अब अगले चरण की सोचते हैं
दूसरा चरण शुरू होता है २० हफ़्तोंके बाद, अर्थात ५वे महीने की सोनोग्राफी के बाद| क्योंकि इस सोनोग्राफी में गर्भ के अव्यंग और निरोगी होने की पुष्टि हो जाती है| इस लिए शिशु के लिए और डिलीवरी के लिए लगने वाली आवश्यक चीजें अब खरीद सकते हैं|
अपने समाज में आज भी बड़े बुजुर्ग यही मानते है की बच्चेके लिए खरीदारी उस के जन्म के बाद की जाए| परन्तु अपने समाज की परिस्थिति भी पाश्चात्य देश���ंकी तरह होती जा रही है| हर बार कोई बुजुर्ग साथ में होंगे ये मुश्किल होता जा रहा है| इस लिए कई लोग आजकल ये खरीदारी भी पहले ही कर लेते हैं|
शिशु के लिए आवश्यक वस्तु
१. शिशु के सारे आवश्यक कपडे, लंगोट, तेल, साबुन, पाउडर तथा चद्दर| कॉटन की साडी और दुपट्टेसे शिशु के लिए बहुत अच्छी आरामदेह चादर बन सकती है| ये बहुत मुलायम होने से शिशु की नाजुक त्वचा भी सुरक्षित रहती है| बाजारू चादर की तुलना में इस चादर ��ें अपनेपन का गंध होता है| आजकल ऐसी चादर पुरानी साडियोंसे सिलकर मिलती हैं|
२. शिशु के नहाने के लिए टब- ये अत्यंत उपयोगी और आवश्यक वस्तु है| नवजात शिशु को भी सुरक्षित रूप से नहलाने के लिए विशेष अटैचमेंट मिलती हैं|
३. CARRY COT - इसमें नन्हा शिशु बड़े आरामसे सो सकता है और आप उसे उठाकर कहीं भी ले जा सकते हो|
४. PRAM अथवा STOLLER -शिशु को घर से बाहर ले जाने के लिए बहुत उपयुक्त होता है| बच्चे दो साल की उम्र तक इसमें बैठ सकते हैं और एन्जॉय भी करते हैं| जैसे जैसे शिशु का वजन बढ़ता है, उसे गोद में लेकर घूमना मुश्किल हो जाता है| इसलिए स्टॉलर की आदत पहलेसे ही डालें| सुबह की कच्ची धुप में जब शिशु को ले जाते हैं, तभी से आप स्टॉलर इस्तेमाल कर सकते हो|
५. पालना और उस पर टंगनेवाला गोल घूमता खिलौना- पालने में शिशु सुरक्षित रहता है| आप को यदि काम करना हो तो बच्चेको पालने में रखकर निश्चिन्त होकर काम कर सकते हो| पालने की आदत भी डालनी पड़ती है| पालने पर बांधनेके लिए एक गोल गोल घूमने वाला खिलौना मिलता है| इसका बहुत उपयोगी रोल है पहले कुछ महीनोमे| शिशुकी आँखें साधारणत: दूसरे महीनेसे फोकस होने लगती हैं| इस खिलोनेसे दृष्टी स्थिर होने में मदत होती है| बच्चा भी आँखें घुमाकर उस खिलोनेको आंखोंसे फॉलो करना सीखता है| ये एक महत्वपूर्ण स्टेप है|
६. डायपर- ये आजकल बहुत ही जरुरी हो गए हैं| अच्छे कंपनी के और सॉफ्ट तथा हलके डायपर इस्तेमाल करें| SKIN RASH पर हमेशा ध्यान दें|
अब इस स्टेज पर माँ के लिए क्या खरीदना है ये देखते हैं| डिलीवरी के बाद माँ का एक प्रमुख काम है शिशु को स्तनपान कराना| ये आसान हो इसलिए -
१. फीडिंग गाउन, फीडिंग टीशर्ट , फीडिंग ब्रा आदि चीजें ख़रीदना आवश्यक हैं|
२. फीडिंग पिलो- इस ख़ास पिलो पर शिशु को रखकर स्तनपान कराना आसान हो जाता है| माँ को झुकना नहीं पड़ता और फिर पीठ दर्द आदिकी परेशानी नहीं उठानी पड़ती|
३. सेनेटरी नैपकिन्स- डिलीवरी के बाद हॉस्पिटल में जो नैपकिन्स देते हैं, वो कई बार कम्फर्टेबल नहीं लगते| इसलिए आप हमेशा जो नैपकिन्स इस्तेमाल करते हो, उन्हीको बड़ी संख्यामे लाकर ��खें|
जैसा पहले कहा है, कपडे, चप्पल आदि आरामदेह ही होने चाहिए|
यहाँ पर आपने एक बात नोटिस करी होगी की पहले स्टेज में माँ की खरीदारी ज्यादा है और दूसरी स्टेज में शिशु की| यही प्रकृति की खासियत है| नवनिर्माण की तैयारी भी जोरशोर से होती है और स्वागत भी बड़े आनंद के साथ किया जाता है|
इस लेख का मुख्य मक़सद यही है की नए नवेले माता-पिता ठीकसे प्लानिंग कर सके, उन्हें ऐन वक़्त पर भागदौड़ ना करनी पड़े| साथ ही, रिश्तेदार और मित्र परिवार भी ये तय कर सकते हैं की उपहार में क्या दें और क्या ना दें| मैंने लोगोंको नामकरण में या फिर पहले जन्मदिन पर तीन पहिया साइकिल देते हुए देखा है, जो फिर तीन साल तक वैसीही पड़ी रहती है| 'तीन पहिया तीसरे साल' ये तो बहुत आसान है याद रखने को, है ना?
आपके प्रतिसाद की अपेक्षा है|
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जानिए वजन कम करने के लिए करें कौन सा आसन
जानिए वजन कम करने के लिए करें कौन सा आसन
____________________ गलत खान-पान और बदलती लाइफस्टाइल की वजह से मोटापा सबसे बड़ी बीमारी बन चुका है। वजन बढ़ने से शरीर में कई तरह की बामीरियां पनपने लगती हैं और स्वास्थ्य पर विपरित असर पड़ता है। इस तरह के भार को पूरा करने के लिए फिट रहना होगा और योग के सहवर्ती योग बार खराब होने में सुधार होता है। इस समय में भी. ऐसे में आप योग के भी भार कम कर सकते हैं। इस तरह के आसनों के बारे में बैठने के बारे में ️…
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शहीदे आजम भगत सिंह और 23 मार्च 1931 -
शहीदे आजम भगत सिंह एक ऐसा नाम जो बहुत ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।अब के समय के बच्चे जो उस उम्र में कुछ सोच -समझ नहीं पाते उस उम्र भगत सिंह देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गये। लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च, 1931 की शुरुआत किसी और दिन की तरह ही हुई थी। फर्क सिर्फ इतना सा था कि सुबह-सुबह जोर की आँधी आई थी। लेकिन जेल के कैदियों को थोड़ा अजीब सा लगा जब चार बजे ही वॉर्डेन चरत सिंह ने उनसे आकर कहा कि वो अपनी-अपनी कोठरियों में चले जाएं।उन्होंने कारण नहीं बताया। उनके मुंह से सिर्फ ये निकला कि आदेश ऊपर से है।अभी कैदी सोच ही रहे थे कि माजरा क्या है,जेल का नाई बरकत हर कमरे के सामने से फुसफुसाते हुए गुजरा कि आज रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है।उस क्षण की निश्चिंतता ने उनको झकझोर कर रख दिया। कैदियों ने बरकत से मनुहार की कि वो फांसी के बाद भगत सिंह की कोई भी चीज जैसे पेन, कंघा या घड़ी उन्हें लाकर दें ताकि वो अपने पोते-पोतियों को बता सकें कि कभी वो भी भगत सिंह के साथ जेल में बंद थे। बरकत भगत सिंह की कोठरी में गया और वहाँ से उनका पेन और कंघा ले आया। सारे कैदियों में होड़ लग गई कि किसका उस पर अधिकार हो।आखिर में ड्रॉ निकाला गया।
भगत सिंह ने क्यों कहा -इन्कलाबियों को मरना ही होता है-
अब सब कैदी चुप हो चले थे। उनकी निगाहें उनकी कोठरी से गुजरने वाले रास्ते पर लगी हुई थी। भगत सिंह और उनके साथी फाँसी पर लटकाए जाने के लिए उसी रास्ते से गुजरने वाले थे।एक बार पहले जब भगत सिंह उसी रास्ते से ले जाए जा रहे थे तो पंजाब कांग्रेस के नेता भीमसेन सच्चर ने आवाज ऊँची कर उनसे पूछा था, "आप और आपके साथियों ने लाहौर कॉन्सपिरेसी केस में अपना बचाव क्यों नहीं किया। " भगत सिंह का जवाब था,"इन्कलाबियों को मरना ही होता है, क्योंकि उनके मरने से ही उनका अभियान मजबूत होता है,अदालत में अपील से नहीं।" वॉर्डेन चरत सिंह भगत सिंह के खैरख्वाह थे और अपनी तरफ से जो कुछ बन पड़ता था उनके लिए करते थे। उनकी वजह से ही लाहौर की द्वारकादास लाइब्रेरी से भगत सिंह के लिए किताबें निकल कर जेल के अंदर आ पाती थीं।भगत सिंह को किताबें पढ़ने का इतना शौक था कि एक बार उन्होंने अपने स्कूल के साथी जयदेव कपूर को लिखा था कि वो उनके लिए कार्ल लीबनेख की 'मिलिट्रिजम', लेनिन की 'लेफ्ट विंग कम्युनिजम' और अपटन सिनक्लेयर का उपन्यास 'द स्पाई' कुलबीर के जरिए भिजवा दें।
भगत सिंह अपने जेल की कोठरी में शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे-
भगत सिंह जेल की कठिन जिंदगी के आदी हो चले थे। उनकी कोठरी नंबर 14 का फर्श पक्का नहीं था। उस पर घास उगी हुई थी। कोठरी में बस इतनी ही जगह थी कि उनका पाँच फिट, दस इंच का शरीर बमुश्किल उसमें लेट पाए।भगत सिंह को फांसी दिए जाने से दो घंटे पहले उनके वकील प्राण नाथ मेहता उनसे मिलने पहुंचे। मेहता ने बाद में लिखा कि भगत सिंह अपनी छोटी सी कोठरी में पिंजड़े में बंद शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे।उन्होंने मुस्करा कर मेहता को स्वागत किया और पूछा कि आप मेरी किताब 'रिवॉल्युशनरी लेनिन' लाए या नहीं? जब मेहता ने उन्हे किताब दी तो वो उसे उसी समय पढ़ने लगे मानो उनके पास अब ज्यादा समय न बचा हो।मेहता ने उनसे पूछा कि क्या आप देश को कोई संदेश देना चाहेंगे?भगत सिंह ने किताब से अपना मुंह हटाए बगैर कहा, "सिर्फ दो संदेश... साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और 'इंकलाब जिदाबाद!" इसके बाद भगत सिंह ने मेहता से कहा कि वो पंडित नेहरू और सुभाष बोस को मेरा धन्यवाद पहुंचा दें,जिन्होंने मेरे केस में गहरी रुचि ली थी।
वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी गयी -
भगत सिंह से मिलने के बाद मेहता राजगुरु से मिलने उनकी कोठरी पहुंचे। राजगुरु के अंतिम शब्द थे, "हम लोग जल्द मिलेंगे।" सुखदेव ने मेहता को याद दिलाया कि वो उनकी मौत के बाद जेलर से वो कैरम बोर्ड ले लें जो उन्होंने उन्हें कुछ महीने पहले दिया था।मेहता के जाने के थोड़ी देर बाद जेल अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों को बता दिया कि उनको वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी जा रही है। अगले दिन सुबह छह बजे की बजाय उन्हें उसी शाम सात बजे फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा।भगत सिंह मेहता द्वारा दी गई किताब के कुछ पन्ने ही पढ़ पाए थे। उनके मुंह से निकला, "क्या आप मुझे इस किताब का एक अध्याय भी खत्म नहीं करने देंगे?" भगत सिंह ने जेल के मुस्लिम सफाई कर्मचारी बेबे से अनुरोध किया था कि वो उनके लिए उनको फांसी दिए जाने से एक दिन पहले शाम को अपने घर से खाना लाएं।लेकिन बेबे भगत सिंह की ये इच्छा पूरी नहीं कर सके, क्योंकि भगत सिंह को बारह घंटे पहले फांसी देने का फैसला ले लिया गया और बेबे जेल के गेट के अंदर ही नहीं घुस पाया।
तीनों क्रांतिकारियों अंतिम क्षण -
थोड़ी देर बाद तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की तैयारी के लिए उनकी कोठरियों से बाहर निकाला गया। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने हाथ जोड़े और अपना प्रिय आजादी गीत गाने लगे- कभी वो दिन भी आएगा कि जब आजाद हम होंगें ये अपनी ही जमीं होगी ये अपना आसमाँ होगा।
फिर इन तीनों का एक-एक करके वजन लिया गया।सब के वजन बढ़ गए थे। इन सबसे कहा गया कि अपना आखिरी स्नान करें। फिर उनको काले कपड़े पहनाए गए। लेकिन उनके चेहरे खुले रहने दिए गए।चरत सिंह ने भगत सिंह के कान में फुसफुसा कर कहा कि वाहे गुरु को याद करो।
भगत सिंह बोले, "पूरी जिदगी मैंने ईश्वर को याद नहीं किया। असल में मैंने कई बार गरीबों के क्लेश के लिए ईश्वर को कोसा भी है। अगर मैं अब उनसे माफी मांगू तो वो कहेंगे कि इससे बड़ा डरपोक कोई नहीं है। इसका अंत नजदीक आ रहा है। इसलिए ये माफी मांगने आया है।" जैसे ही जेल की घड़ी ने 6 बजाय, कैदियों ने दूर से आती कुछ पदचापें सुनीं।उनके साथ भारी बूटों के जमीन पर पड़ने की आवाजे भी आ रही थीं। साथ में एक गाने का भी दबा स्वर सुनाई दे रहा था, "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।।।" सभी को अचानक जोर-जोर से 'इंकलाब जिंदाबाद' और 'हिंदुस्तान आजाद हो' के नारे सुनाई देने लगे।फांसी का तख्ता पुराना था लेकिन फांसी देने वाला काफी तंदुरुस्त। फांसी देने के लिए मसीह जल्लाद को लाहौर के पास शाहदरा से बुलवाया गया था।भगत सिंह इन तीनों के बीच में खड़े थे। भगत सिंह अपनी माँ को दिया गया वो वचन पूरा करना चाहते थे कि वो फाँसी के तख्ते से 'इंकलाब जिदाबाद' का नारा लगाएंगे।
भगत सिंह ने अपने माँ से किया वादा निभाया और फांसी के फंदे को चूमकर -इंकलाब जिंदाबाद नारा लगाया -
लाहौर जिला कांग्रेस के सचिव पिंडी दास सोंधी का घर लाहौर सेंट्रल जेल से बिल्कुल लगा हुआ था। भगत सिंह ने इतनी जोर से 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा लगाया कि उनकी आवाज सोंधी के घर तक सुनाई दी। उनकी आवाज सुनते ही जेल के दूसरे कैदी भी नारे लगाने लगे। तीनों युवा क्रांतिकारियों के गले में फांसी की रस्सी डाल दी गई।उनके हाथ और पैर बांध दिए गए। तभी जल्लाद ने पूछा, सबसे पहले कौन जाएगा? सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकने की हामी भरी। जल्लाद ने एक-एक कर रस्सी खींची और उनके पैरों के नीचे लगे तख्तों को पैर मार कर हटा दिया।काफी देर तक उनके शव तख्तों से लटकते रहे।अंत में उन्हें नीचे उतारा गया और वहाँ मौजूद डॉक्टरों लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ्टिनेंट कर्नल एनएस सोधी ने उन्हें मृत घोषित किया।
क्यों मृतकों की पहचान करने से एक अधिकारी ने मना किया -
एक जेल अधिकारी पर इस फांसी का इतना असर हुआ कि जब उससे कहा गया कि वो मृतकों की पहचान करें तो उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उसे उसी जगह पर निलंबित कर दिया गया। एक जूनियर अफसर ने ये काम अंजाम दिया।पहले योजना थी कि इन सबका अंतिम संस्कार जेल के अंदर ही किया जाएगा, लेकिन फिर ये विचार त्यागना पड़ा जब अधिकारियों को आभास हुआ कि जेल से धुआँ उठते देख बाहर खड़ी भीड़ जेल पर हमला कर सकती है। इसलिए जेल की पिछली दीवार तोड़ी गई।उसी रास्ते से एक ट्रक जेल के अंदर लाया गया और उस पर बहुत अपमानजनक तरीके से उन शवों को एक सामान की तरह डाल दिया गया। पहले तय हुआ था कि उनका अंतिम संस्कार रावी के तट पर किया जाएगा, लेकिन रावी में पानी बहुत ही कम था, इसलिए सतलज के किनारे शवों को जलाने का फैसला लिया गया।उनके पार्थिव शरीर को फिरोजपुर के पास सतलज के किनारे लाया गया। तब तक रात के 10 बज चुके थे। इस बीच उप पुलिस अधीक्षक कसूर सुदर्शन सिंह कसूर गाँव से एक पुजारी जगदीश अचरज को बुला लाए। अभी उनमें आग लगाई ही गई थी कि लोगों को इसके बारे में पता चल गया।जैसे ही ब्रितानी सैनिकों ने लोगों को अपनी तरफ आते देखा, वो शवों को वहीं छोड़ कर अपने वाहनों की तरफ भागे। सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया।अगले दिन दोपहर के आसपास जिला मैजिस्ट्रेट के दस्तखत के साथ लाहौर के कई इलाकों में नोटिस चिपकाए गए जिसमें बताया गया कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का सतलज के किनारे हिंदू और सिख रीति से अंतिम संस्कार कर दिया गया।इस खबर पर लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया आई और लोगों ने कहा कि इनका अंतिम संस्कार करना तो दूर, उन्हें पूरी तरह जलाया भी नहीं गया। जिला मैजिस्ट्रेट ने इसका खंडन किया लेकिन किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया।
वॉर्डेन चरत सिंह फूट-फूट कर रोने लगे -
इस तीनों के सम्मान में तीन मील लंबा शोक जुलूस नीला गुंबद से शुरू हुआ। पुरुषों ने विरोधस्वरूप अपनी बाहों पर काली पट्टियाँ बांध रखी थीं और महिलाओं ने काली साड़ियाँ पहन रखी थीं। लगभग सब लोगों के हाथ में काले झंडे थे।लाहौर के मॉल से गुजरता हुआ जुलूस अनारकली बाजार के बीचोबीच रूका। अचानक पूरी भीड़ में उस समय सन्नाटा छा गया जब घोषणा की गई कि भगत सिंह का परिवार तीनों शहीदों के बचे हुए अवशेषों के साथ फिरोजपुर से वहाँ पहुंच गया है। जैसे ही तीन फूलों से ढ़के ताबूतों में उनके शव वहाँ पहुंचे, भीड़ भावुक हो गई। लोग अपने आँसू नहीं रोक पाए।उधर, वॉर्डेन चरत सिंह सुस्त कदमों से अपने कमरे में पहुंचे और फूट-फूट कर रोने लगे। अपने 30 साल के करियर में उन्होंने सैकड़ों फांसियां देखी थीं, लेकिन किसी ने मौत को इतनी बहादुरी से गले नहीं लगाया था जितना भगत सिंह और उनके दो कॉमरेडों ने।किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि16 साल बाद उनकी शहादत भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत का एक कारण साबित होगी और भारत की जमीन से सभी ब्रिटिश सैनिक हमेशा के लिए चले जाएंगे।
शहीद-ए-आजम का भगत सिंह नाम कैसे पड़ा -
भारत माँ के इस महान सपूत का नाम उनकी दादी के मुँह से निकले लफ्जों के आधार पर रखा गया था।जिस दिन भगतसिंह का जन्म हुआ, उसी दिन उनके पिता सरदार किशनसिंह और चाचा अजीतसिंह की जेल से रिहाई हुई थी। इस पर उनकी दादी जय कौर के मुँह से निकला 'ए मुंडा ते बड़ा भागाँवाला ए' (यह लड़का तो बड़ा सौभाग्यशाली है)।शहीद-ए-आजम के पौत्र (भतीजे बाबरसिंह संधु के पुत्र) यादविंदरसिंह संधु ने बताया कि दादी के मुँह से निकले इन अल्फाज के आधार पर घरवालों ने फैसला किया कि भागाँवाला (भाग्यशाली) होने की वजह स�� लड़के का नाम इन्हीं शब्दों से मिलता-जुलता होना चाहिए, लिहाजा उनका नाम भगतसिंह रख दिया गया।
शहीद-ए-आजम का नाम भगतसिंह रखे जाने के साथ ही नामकरण संस्कार के समय किए गए यज्ञ में उनके दादा सरदार अर्जुनसिंह ने यह संकल्प भी लिया कि वे अपने इस पोते को देश के लिए समर्पित कर देंगे। भगतसिंह का परिवार आर्य समाजी था, इसलिए नामकरण के समय यज्ञ किया गया।यादविंदर ने बताया कि उन्होंने घर के बड़े-बुजुर्गों से सुना है कि भगतसिंह बचपन से ही देशभक्ति और आजादी की बातें किया करते थे। यह गुण उन्हें विरासत में मिला था, क्योंकि उनके घर के सभी सदस्य उन दिनों आजादी की लड़ाई में शामिल थे।हमारा उद्देश्य हमेशा रहता है की अपने इतिहास के चुनिंदा घटनाओं से आपको अवगत कराते रहे है। हमारे आर्टिकल आपको अगर पसंद आते है तो हमे अपना समर्थन दे।
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होम आइसोलेशन वाले कोरोना मरीज घर में रख सकते हैं ऑक्सिजन सिलिंडर? जानें हर सवाल का जवाब Divya Sandesh
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होम आइसोलेशन वाले कोरोना मरीज घर में रख सकते हैं ऑक्सिजन सिलिंडर? जानें हर सवाल का जवाब
अखंड प्रताप सिंह, गाजियाबाद कोरोना संक्रमण की वजह से मुंबई में हालात बहुत खराब हैं। संक्रमित को अस्पताल में बेड मिलना भी मुश्किल हो रहा है। वहां पर घर पर ही आईसीयू की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है, लेकिन उसके लिए मोटा चार्ज लिया जा रहा है। जिस हिसाब से पूरे देश में कोरोना बढ़ रहा है, एनसीआर के जिलों के हालात भी हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि जैसे घर और कार में इमर्जेंसी में आग बुझाने के लिए फायर सिलिंडर रखा जाता है। वैसे ही कोरोना संक्रमित मरीज का जब ऑक्सिजन लेवल नीचे आ जाए तो इस प्रकार के ऑक्सिजन सिलिंडर का प्रयोग करके उसे बचाया जा सकता है।
कितना मददगार है ऑक्सिजन सिलिंडर?सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता का कहना है कि इमर्जेंसी के हालात में कोरोना मरीज के लिए घर में रखा हुआ ऑक्सिजन सिलिंडर जीवनदायक साबित होगा। अचानक ऑक्सिजन की कमी होने पर अस्पताल तक पहुंचने में कई बार देरी हो जाती है, लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए। घर में ऑक्सिजन सिलिंडर लगाने के बाद मरीज को डॉक्टर को जरूर दिखा लेना चाहिए। बिना जरूरत के ऑक्सिजन सिलिंडर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कैसे लगाएं, पहले इसके बारे में करें जानकारीएमएमजी अस्पताल के सीनियर फिजीशियन डॉ. आरपी सिंह कहना है कि कोरोना काल में यदि किसी मरीज के ऑक्सिजन लेवल कम होता है तो घर में रखा हुआ ऑक्सिजन सिलिंडर मददगार साबित होगा, लेकिन ऑक्सिजन सिलिंडर लगाना आना चाहिए। शरीर में ऑक्सिजन लेवल कम होने पर तत्काल ऑक्सिजन मिलने से मरीज के साथ किसी प्रकार का हादसा होने की संभावना कम हो जाती है। ऑक्सिजन सिलिंडर के अलावा क्��ा है विकल्प?सिलिंडर के विकल्प के रूप में ऑक्सिजन कंसंट्रेटर मशीन भी काफी कारगर होती है। इसे घर में रखना भी आसान होता है। यह वायुमंडल से ऑक्सिजन लेकर मरीज में ऑक्सिजन की उपलब्धता बनाए रखती है, लेकिन इसकी कीमत अधिक है। यह 40 से 50 हजार रुपये के बीच में मिलती है। कौन सा सिलिंडर खरीदना होगा कारगर?सांस लेने में समस्या होने पर तुरंत राहत के लिए ऑक्सिजन की जरूरत पड़ती है। ऐसे में घर में पोर्टेबल ऑक्सिजन सिलिंडर रखा जा सकता है। इन सिलिंडर के साथ मास्क भी आते हैं। वैसे यह मास्क अलग से भी खरीदा जा सकता है। मरीज की स्थिति गंभीर होने पर ये पोर्टेबल ऑक्सिजन सिलिंडर जिंदगी बचा देते हैं। हालत बिगड़ने पर इन्हें लगाकर मरीज को अस्पताल तक पहुंचाया जा सकता है। बाजार में क्या है इनकी कीमत?ये सिलिंडर ऑनलाइन और ऑफलाइन मार्केट में मिल जाते हैं। 75 लीटर के सिलिंडर की कीमत करीब 5 हजार रुपये है। सिलिंडर में ऑक्सिजन को कंप्रेस करके रखा जाता है, जिससे यह बहुत छोटी बोतल में आ जाती है। इसका वजन महज 700 ग्राम के करीब होता है। बाजार में क्यों कम है उपलब्धता?पोर्टेबल ऑक्सिजन सिलिंडर की सप्लाइ करने वाले मनजिंदर का कहना है कि वर्तमान में इस तरह के सिलिंडर की उपलब्धकता कम है, इसलिए जरूरत के हिसाब से सप्लाइ करना मुश्किल हो रहा है। गुजरात से सप्लाइ आती है। कोरोना मरीज महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में बढ़ने से सप्लाइ कम हो गई है।
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दुबले पतले शरीर को तंदुरस्त और ताकतवर बनाने का सफल उपाय
कुछ लोग अपने फैटी शरीर से परेशान है, तो वही कुछ लोग अत्यधिक दुबले-पतले तथा कमजोर होने के कारण दिन-रात अपना वजन बढ़ाने के बारे में सोचते रहते है।
कुछ भी खाते है पर शरीर में नहीं लगता और वजन नहीं बढ़ता है। आज हम आपको बताएंगे की घर में ही अपने वजन को कैसे बढ़ा सकते है। आपको क्या क्या घरेलू चीज खानी है जिससे जिससे आपका वजन बढ़ जायेगा। जी हाँ, आज के समय में शरीर को फिट रखना एक बड़ी चुनौती है। लोगो का मानना है की सभी मौसम में सबसे अच्छा सर्दी का मौसम होता है। इस मौसम में पाचन क्रिया अच्छी रहती है, तथा शारीरिक विकास होता है। (Best weight gain powder for male and female) परन्तु इस मौसम में भी कुछ लोग ऐसे होते है जिनका शारीरिक विकास नहीं होता है। तो आज हम आपको बताएंगे की इस मौसम में कैसे इन फूड्स की मदद से आप अपना वजन बढ़ाने के साथ-साथ मसल्स भी बना सकते है। आप 1 महीने में ही रिजल्ट देख सकते है।
तो आइये देखते है क्या-क्या ऐसा खाना चाहिए जिससे हमारा वजन बढ़ जायेगा।
अंडे (Eggs)
अंडे में विटामिन ए, डी और ई होता है, जो वजन बढ़ाने में कारगर है। इसके साथ ही मैग्नीशियम, सोडियम, कोलेस्ट्रॉल और पोटेशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं। दिन में 2 अंडे खाने से वजन को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा यह फॉलेट, सेलेनियम और कई खनिज लवणों का अच्छा स्त्रोत है। इसलिए (How to weight gain) मसल बनाने के लिए अपने डाइट में अंडे को जरूर शामिल करें। जो आपको बॉडी के लिए जरूरी प्रोटीन के साथ अच्छा फैट भी देते हैं।
खजूर (Dates)
अगर हम सूखे खजूर और दूध का सेवन करते है तो हमारा वजन बढ़ता है। शुष्क तिथियों को समृद्ध खाद्य पदार्थों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। सूखी खजूर विटामिन ए, सी, ई, के, बी 2, बी 6, नियासिन और थियामिन सहित विटामिन से भरे होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे प्रोटीन, चीनी, ऊर्जा और विटामिन का एक अच्छा स्रोत हैं जो आपको अधिक वजन डाले बिना पर्याप्त मांसपेशियों को प्राप्त करने में मदद करते हैं। वजन बढ़ाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए उन्हें दूध के साथ सेवन करें। लगभग 20 से 30 दिनों में दृश्यमान परिणाम देखें।
शहद (Honey)
रोज सोने से पहले या नाश्ते में गर्म दूध के साथ एक चम्मच शहद का सेवन करें। इससे वजन भी तेजी से बढ़ता है और पाचन भी अच्छी तरह होता है। बहुत कम वजन वाले लोगों को अक्सर डॉक्टर खरबूजा खाने की सलाह देते हैं। हालांकि यह मौसमी फल है लेकिन इसे खाने से भी वजन तेजी से बढ़ता है। शहद में 4 – 5 छुहारे मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से पेट की पाचन संबंधी समस्या से राहत मिलती है तथा तेजी से वजन बढ़ता है। वही इसे विपरीत सुबह खली पेट गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीने से वजन कम भी होता है।
केले (Banana)
केला, ग्लूकोज, उर्जा, प्रोटीन और विटामिन से भरपूर फल है। एक केले में लगभग 108 कैलोरी होती है, जो 17.5 ग्राम का कार्बोहाइड्रेट के बराबर होती है। केले कैलोरी से भरपूर होते हैं, (How to weight gain and muscle mass) और यही कारण है कि वजन बढ़ाने के लिए केले को एक पुरानी विधि माना जाता है। कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर के अंगों को स्मूद करने के लिए महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा आपके वजन को बढ़ाने का काम करती है।
दूध (Milk)
दूध में कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। वहीं दूध में डाइजेस्टिव गुणों की मात्रा भी पाई जाती है, जिसके कारण डिनर में खाए स्पाइसी फूड को पचाने में मदद मिलती है। वसा रहित दूध के स्थान पर वसा युक्त दूध का उपयोग करें जिससे आप शीघ्रता से वज़न बढ़ा सकते हैं। वसा रहित दूध के बजाय वसा युक्त दूध के एक ग्लास में लगभग 60 अतिरिक्त कैलोरी होती हैं। दूध भी विटामिन और पोषक तत्वों से भरा है।
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अंजीर के फायदे, अंजीर की खेती कैसे करे, उन्नत किस्में — पूरी जानकारी
दोस्तों आज हम बात करेंगे,अंजीर(Anjeer) के विषय में की अंजीर के क्या फायदे हैं, अंजीर को कैसे खाना चाहिए,अंजीर(Anjeer) की विभिन्न प्रकार की जानकारी हम आपको अपनी इस पोस्ट में देंगे। अंजीर(Anjeer) से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियों को प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे।
अंजीर(Anjeer):
अंजीर को फ़िग(Fig) भी कहते है, यह फ़िग(Fig) नाम अंग्रेजी है। तथा अंजीर(Anjeer) का वास्तविक नाम फ़िकस कैरिका हैं।अंजीर पक जाने के बाद पेड़ से गिर जाता है।अंजीर(Anjeer) के पके हुए फल को लोग बहुत ही चाव के साथ खाते हैं। तथा सूख जाने के बाद उचित दाम पर बिकता है।अंजीर(Anjeer) के फल के टुकड़ों को सुखाकर रख लेते हैं और उसको मार्केट में बेचते हैं। अंजीर पौष्टिकता से भरे होने के कारण लोग इसे पीसकर दूध और चीनी के मिश्रण में मिलाकर पीते तथा खाते भी हैं।
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अंजीर(Anjeer) खाने के फायदे:
अंजीर(Anjeer) खाने के एक नहीं अनेक फायदे होते हैं लेकिन कुछ फायदों के बारे में हम आपको बता रहे हैं जैसे : अंजीर(Anjeer) खाने से हृदय को विभिन्न प्रकार का फायदा होता है, विभिन्न रोगों से बचाव होता है ,अंजीर(Anjeer) खाने से हमारी हड्डियां मजबूत रहती है।अंजीर(Anjeer) हमारी विभिन्न प्रकार की प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है, यदि किसी का वजन ज्यादा है तो रोजाना अंजीर(Anjeer) का सेवन करने से वजन कम करने में मददगार साबित होता है, अंजीर की मदद से रक्तचाप में कमी आती हैं , यह कुछ फायदे हैं अंजीर खाने के अंजीर(Anjeer) का सेवन करना हर प्रकार से फायदेमंद होता है। तो आईये दोस्तों, तोड़ें रोगों की ज़ंजीर, रोज खाएं अंजीर।
सुबह खाली पेट अंजीर(Anjeer) खाने के फायदे
सुबह-सुबह अंजीर(Anjeer) खाने से ब्लड प्रेशर को काफी अच्छा कंट्रोल मिलता है।अंजीर में पोटैशियम की भरपूर मात्रा मौजूद होती है।
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यदि कोई व्यक्ति ब्लड प्रेशर का मरीज है आपके घर या किसी अन्य के प्रति यदि आप अपने अच्छी सोच रखते हैं तो आप उसको खाली पेट रोजाना अंजीर(Anjeer) खाने की सलाह दे सकते हैं।
डायबिटीज के मरीज यदि रोजाना सुबह उठते ही अंजीर(Anjeer) खाएंगे, तो उनकी डायबिटीज की बीमारी को दूर करने में अंजीर से काफी सहायता मिल सकती है, इसीलिए अंजीर(Anjeer) को खाना चाहिए खाली पेट रोजाना।
अंजीर(Anjeer) की खेती
अंजीर(Anjeer) की खेती शीतोष्ण और शुष्क जलवायु में की जाती है। भारत देश में अंजीर(Anjeer) की खेती करने वाले कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनका नाम यह है जैसे: कर्नाटक, महाराष्ट्र ,तमिलनाडु ,गुजरात, उत्तर प्रदेश आदि क्षेत्रों में अंजीर(Anjeer) की पैदावार होती है।कृषि विशेषज्ञों के अनुसार अंजीर के पौधे लगभग 2 साल बाद उत्पादन के लायक हो जाते हैं।अंजीर(Anjeer) में कोहरे को सहने की अपनी क्षमता होती है।अंजीर(Anjeer) लोगों में बहुत ही लोकप्रिय फलों में से एक है।अंजीर की खेती दक्षिणी व पश्चिमी अमेरिका व मेडिटेरेनियन तथा उत्तरी अफ्रीकी देश में भारी मात्रा में अंजीर(Anjeer) की फसल को उगाया जाता है।अंजीर की बढ़ती मांग को देखते हुए कुछ वैज्ञानिक तकनीकों द्वारा भी इसकी फसल को उगाने का प्रबंध कृषि विशेषज्ञ करते हैं।अंजीर(Anjeer) की फसल काफी गुणवत्ता युक्त उत्पादन होती है।
अंजीर(Anjeer) की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु:
अंजीर(Anjeer) की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु का चयन करने के लिए कृषि विशेषज्ञ उपोष्ण और गर्म-शीतोष्ण ही उचित समझते हैं , क्योंकि इन जलवायु के जरिए अंजीर(Anjeer) काफी अच्छी तरह से फलता फूलता है।अंजीर(Anjeer) के लिए सूखी छाया बहुत ही अच्छी होती है। किसान अंजीर की खेती हर प्रकार की जलवायु में कर सकते हैं परंतु अंजीर एक गर्म पौधा होने के कारण इसकी जलवायु उपोष्ण व गर्म-शीतोष्ण सबसे अच्छी होती है। अंजीर(Anjeer) के फलों का विकास करने के लिए वायुमंडल का शुष्क होना बहुत ही लाभदायक होता है अंजीर(Anjeer) की परिपक्वता के लिए बहुत आवश्यक होता है।अंजीर पर्णपाती वृक्ष होने की वजह से इस पर बहुत कम पाले का प्रभाव होता है।
अंजीर(Anjeer) के लिए भूमि का चयन
किसान अंजीर(Anjeer) की पैदावार के लिए किसी भी प्रकार की भूमि का प्रयोग कर सकते हैं ,परंतु किसानों द्वारा सलाह अनुसार अंजीर(Anjeer) की खेती के लिए सबसे अच्छी भूमि दोमट मिट्टी और मटियार दोमट होती है। इन मिट्टियों में जल निकास काफी अच्छी तरह से हो जाता है , इसीलिए इसको सबसे अच्छी श्रेष्ठ मिट्टियों की श्रेणी में रखा गया है।
अंजीर(Anjeer) की उन्नत किस्में:
अंजीर(Anjeer) की खेती को निम्नलिखित तीन वर्गीकरण में विभाजित किया गया है
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बी एफ 1 प्रजाति, बी एफ- 2, और बी एफ- 3 प्रजातिया। बी एफ- III प्रजाति सबसे उत्तम प्रजाति मानी जाती है। अ��जीर की इस प्रजाति को बडका अंजीर’ किस्म के नाम से जाना जाता है। भारत के निचले पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों में इनकी काफी किस्म में पाई जाती है।
अंजीर(Anjeer) के पौधे तैयार करना;
अंजीर(Anjeer) के पौधे तैयार करने के लिए, पौधों को एक से 2 सेंटीमीटर मोटी तथा 15 से 20 सेंटीमीटर लंबी इनकी परिपक्व कलमों के आधार पर इनको तैयार किया जाता है। सर्दियों में अंजीर की कलमें को लगभग 1 से 2 महीने तक कैल्सिंग की मिट्टी में दबा कर रखा जाता है।अंजीर(Anjeer) की कलमें फरवरी से मार्च के तापमान के बढ़ने के कारण रोपित किए जाने लगती है। अंजीर(Anjeer) की खेती के लिए गोबर की खाद सबसे अच्छी होती है ,तथा फास्फोरस, पोटाश खाद, का भी प्रयोग किया जाता हैं। अंजीर(Anjeer) की खेती के लिए एक यह दो महीने के भीतर इसमें नत्रजन खाद 10 से 15 ग्राम प्रतिवर्गमीटर कलमें रोपित की जाती हैं।
अंजीर(Anjeer) की सिधाई व काट-छांट:
किसान अंजीर(Anjeer) की सिधाई इस प्रकार करते हैं जिससे या पूरी तरह से बराबर पौधों के रूप में फैल कर बराबर हो जाए। पौधों के हर हिस्से में सूर्य की रोशनी पहुंचना आवश्यक होती है। जिससे इसकी उत्पत्ति हो सके।अंजीर(Anjeer) के फल 1 से 2 साल के अंदर नई शाखाओं पर निकलना शुरू हो जाते हैं। इस स्थिति में टहनियों की शाखाओं को अच्छा बढ़ावा देना चाहिए ,ताकि फल ज्यादा आ सके।अंजीर(Anjeer) के पुराने पेड़ों में विभिन्न प्रकार की समय समय पर काट छांट करते रहना चाहिए। जो टहनियां रोग ग्रस्त तथा सुख जाए उनकी शाखाओं को अच्छी तरह से तोड़कर काट-छांट करने के बाद अलग कर देना चाहिए।
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अंजीर(Anjeer) के पौधों में कीटों की रोकथाम तथा रोगों से मुक्ति :
किसानों के अनुसार अंजीर(Anjeer) में कोई तरह का कोई कीट या फिर रोग नहीं लगता है,परंतु कभी-कभी ऐसा होता है कि कुछ परिस्थितियां ऐसी हो जाती है। कि इनके छाल और पत्तों में कीट का बहुत भयानक प्रकोप पड़ जाता है।
अंजीर(Anjeer) के पौधों को कीट और रोग से बचाने के लिए किसान इनकी रोकथाम के लिए 3 मिलीलीटर एंडोसल्फान और क्लोरोफायरीफोस प्रति लीटर पानी में मिक्स कर पौधों पर छिड़काव करते हैं, जिससे पौधों की सुरक्षा हो सके।
अंजीर(Anjeer) की तुड़ाई और पैदावार
जब अंजीर(Anjeer) के फूल पूरी तरह से परिपक्व हो जाए, तब इनकी तुड़ाई कर देनी चाहिए।
ज्यादा मात्रा में फलों को तोड़ना चाहते हैं, तो एक पानी से भरे हुए बर्तन में एकत्रित कर रख देना चाहिए। अंजीर को 400 से 500 ग्राम से ज्यादा एक बर्तन में नहीं रखना चाहिए।
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अंजीर(Anjeer) के फल उपोष्ण क्षेत्रों में बसन्त ऋतु में मई में पक कर तैयार हो।
हम उम्मीद करते हैं, अंजीर(Anjeer) का यह आर्टिकल आपको काफी पसंद आएगा। हमारे इस आर्टिकल में अंजीर के फायदे ,अंजीर(Anjeer) की पूरी जानकारियां दी गई है। हमारी इस आर्टिकल के जरिए अंजीर(Anjeer) की पूरी जानकारी प्राप्त करें ,तथा अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
Source : अंजीर के फायदे, अंजीर की खेती कैसे करे, उन्नत किस्में — पूरी जानकारी
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